
एंटिफ्रैजीलिएंट OS: डेली नॉवशिफ्ट ट्रांसमिशन्स
हर सुबह, गहन ध्यान के बाद, Dr. Abhimanyou Raathore — एक अनुभवी क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, फंक्शनल मेडिसिन प्रैक्टिशनर, और Antifragilient OS के निर्माता — एक ऊर्जा-समृद्ध ट्रांसमिशन साझा करते हैं, जो आंतरिक और बाहरी रूपांतरण के लिए समर्पित है।
इन ट्रांसमिशन्स की जड़ें स्वयं अनुभव में हैं — बर्नआउट, बीमारी, और जीवन की गहराइयों से उभरकर पाए गए उत्तरों में।
हर एपिसोड एक वैज्ञानिक स्पष्टता और आध्यात्मिक समर्पण से भरा हुआ कोड है — जो न केवल मानसिक ऊर्जा को स्थानांतरित करता है, बल्कि आत्मा को भी स्पर्श करता है।
यह कोई प्रेरणादायक भाषण नहीं है।
यह एक आह्वान है — आत्मा की ओर लौटने का, छः शरीरों को पुनर्संरेखित करने का, और जीवन को अपने पूर्ण सामर्थ्य व शांति की लय में जीने का।
Antifragilient OS के ये दैनिक ट्रांसमिशन्स उन लोगों के लिए हैं जो थक चुके हैं, जागने की प्रक्रिया में हैं, या अपनी सर्वोच्च क्षमता में जीना चाहते हैं।
यह है NowShift — वह क्षण जहाँ सब कुछ बदलने लगता है।
🎧 रोज़ सुनें।
शब्दों को अपने भीतर उतरने दें।
मौन को आपको पुनः संपूर्ण करने दें।
एंटिफ्रैजीलिएंट OS: डेली नॉवशिफ्ट ट्रांसमिशन्स
क्या आपने अपने भीतर के बच्चे को सुना है?
हम सभी के भीतर एक मासूम, डरा हुआ, या कभी-कभी जिद्दी सा "भीतर का बच्चा" होता है — जो सिर्फ एक चीज़ चाहता है: हमारी सच्ची मौजूदगी और प्यार।
इस एपिसोड में, डॉक्टर अभिमन्यू राठोर Internal Family Systems (IFS) और Antifragilient OS की मदद से हमें सिखाते हैं कि हमारे भीतर की वो आवाज़ें जो कभी चुप नहीं होतीं — जैसे आलोचक, नियंत्रक, या पलायन करने वाली आवाजें — दरअसल बचपन से उपजे हिस्से हैं जो हमें बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
हम समझते हैं:
- ये हिस्से कब और कैसे बने
- उनका इरादा क्या है (जो अक्सर हमारे भले के लिए होता है)
- और कैसे हम "Self" बनकर उनसे संवाद करके स्थायी मानसिक और भावनात्मक बदलाव ला सकते हैं
यह एपिसोड सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक चर्चा नहीं है — यह एक आत्मीय बुलावा है अपने सबसे उपेक्षित हिस्सों को देखने, सुनने और अपनाने का।
🎧 सुनिए, महसूस कीजिए, और बताइए — आपके भीतर की सबसे ज़ोरदार आवाज़ कौन-सी है? क्या वो आपके भीतर के बच्चे की पुकार है?
डॉ. अभिमन्यु राठौड़ द्वारा प्रस्तुत पॉडकास्ट
सुनने के लिए धन्यवाद।
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आज आगस्ट सेकंड दोहजार पच्चिस है, मेरा नाम डॉक्टर अभिमान्यू राठोर है, मैं आंटी फ्रिजिलियंट ओपरेटिंग सिस्टम का जैसे मैंने आपको कल बताया था कि हमारे अंदर parts होते हैं, जैसे हमारे �ा फॉर्म करता है, और ये हमारी इंटरनल फैमिली कहलाती है, और ये जो theory है ये बहुत ही जादा असरदार है इसको use करके लोग anxiety और panic से उभर चुके हैं, phobia से उभर चुके हैं, गुस्साहें कोई सब्स्टेंस यूज या अडिक्शन की प्रॉब्लम थी तो उससे उभर चुके हैं कंपल्सिव बिहेवियर जो है उससे उपका एडियोपैथिक सिम्टम है, वहाँ से उबर चुके हैं, और चाइल्ड रोट ट्रामा से उबर चुके हैं, �ient बनने में बहुत मदद करती है क्योंकि यह जड़ तक जाती है यह इस problem की यह problem जो भी problem है आपके anxiety है जो भी हो वहां से sort out करती है इसलिए ये बहुत ज़्यादा असरदार होती है और इसके उपर clinical studies भी हुई है जिसने बताया है कि ये बहुत ज़्यादा असी चिकित सप्रनाली है जो बोलती है कि हम गलत नहीं है और इसी लिए मैं anti-fragilient operating system में इसके बारे में बात कर रहा हूँ ताकि आप बिल्कुल strong हो पानी की तरह, हवा की तरह भेना भी सीख पाएं यह आपको internal family systems मलकि of course anti-fragilient operating system के माधिम से हम आपको और भी तरीके बताएंगे जिससे आ� no-transcript उससे डिस्ट्रैक्ट करके और एक और चीज जो पार्ट करते हैं वह है कि हमारा जो ध्यान है कि वह आकर् मशीन की तरह चर्खी की तरह पूरे टाइम घूमते रहे हैं तो फिर वो तो एक उधारन हो गया यह क्या हो रहा है, यह attention seeking है, और वो क्यों है, क्योंकि वो part दर्द में है, क्या यह best coping तरीका है थे तो हमारे पास और कोई तरीका नहीं था हम वो छोटे से बच्चे थे तो जिनको किसी ना किसी तरीके से फंदर चल क्या रहा है उसको समझ नहीं पाते थे तो ये parts हमारे तब develop हुए अब एक चीज समझनी बहुत जरूरी है दोस्तों कि गर जो ये action लेते हैं कई बार हमारे लिए कारगर नहीं साबित होता, हमारे लिए अच्छा साबित नहीं होता, उसी तरीके से जैसे अचे आपको चोट नहीं पहुंचे आपको ठेस नहीं पहुंचे मगर कई बार आप चिल्ली चिल्ली करते तो या वो चिल्ली करते तो �कता है उनका action बढ़िया ना हो तो अब अगर हमें इस information के साथ आगे बढ़ना है तो हमें क्या समझने की ज़रूरत है हमें ये जो दुविधा, ये जो द्वन्द, ये जो दिक्कतें चल रही हैं, इनको अगर solve करना है, तो इनको solve कोई और नहीं कर सकतं, मगर वो जो healing है, वो सिर्फ आप कर सकते हैं, दोस्त. आप as self वो healing अपने parts के साथ कर सकते हैं. कैसे करना है, ह self who can help that change happen who can help that healing happen मतलब कि जो ये healing पैदा कर सकता है जो ये change आपके अंदर पैदा कर सकता है और उसके लिए सरीके से हैं देखिए ये parts अलग अवाजे हैं दिमाग में जो चलती हैं जैसे मैंने कल एक उधारन के साथ दिया था अगर आपको आपन� रहे होती हैं और कई बार ऐसा भी होता है कि कई ऐसे parts हैं जो बात करना बंद ही नहीं करते हैं और हम चाहते हैं वो बंद करने मगने का देखने का तरीका है वो अलग नजर या अलग अलग होता है तो फिर वो काफी आपस में लड रहे होते हैं और ये experience बड़ और अगर आप कई लोगों की तरह हैं, जादा तर लोगों की तरह हैं, तो फिर आप ये चाहेंगे कि थोड़ी बहुत जो इनमें आवाजें हैं, वो �में बोलती है कि भाईया चुप रहने में ही फलाई है ठीक है क्योंकि जब भी तुम बोलते हो कुछ न कुछ दिक्कत होती है तो फिर वो हमें इनके बावजूद या इनके साथ में मिलके आगे बढ़ें, तो हमें सबसे पहले यह समझना पड़ेगा, कि हम इनको judge नहीं कर सके से जिस तरीके से आप एक relationship को बरकरार रखने के लिए आप हमेशा ये सोचते हैं कि intent तो ठीक है, उद्देश्य तो ठीक है से बच्चा है जो आपको बहुत पसंद है, उसका उद्देशय है खेलने का, मगर वो खेलते खेलते गलती से उसने जो आपका फेवरेट ग्लो सकता है शायद एक मुस्कुराट आ जाएगा मुस्कुराट नहीं तो एक आहासी भर के हो सकता है आप रह जाएगे मगर आप उस बच् के बीच में अंतर समझ पाएं अब चलिए आगे बढ़ते हैं और इसको समझते हैं कि ये parts हमारे साथ कैसे बात करते हैं तो मैंने कल बताया था कि कभी आपके साथ हुआ है कि एक पार्ट आपको चाहता है कि आप ये एक चीज करें और दूसरा पार्ट बोलते हैं गण्डा भला बलते हैं अच्छा नहीं लगता मुझे या फिर कभी आप बहुत ज़्यादा अपसेट हुए और बहुत ही ज़्यादा तनाव, बहुत ज़्यादा टफ प्रोजेक्ट या काम या बच्चों के एकजाम वगेरा के बाद में आपको ऐसा लगा कि य�रीके से आप इसको कर सकते हैं, जहांपे मज़ा भी आएगा, और आप fit भी होते जाएंगे, no-transcript इन चीज़ों को दिमाग में रखके हैं आप आगे कैसे ब�ीज को आप समझ पाएं कि हमारी शुरुवात हील होने की या anti-fragilient बनने की मतलब कि वो चटान जैसे मजबूत और हावा और पानने में, जो पहली चीज हमें करनी चालू करनी पड़ेगी, वो है इन parts की बात सुनना, क्योंकि इनका उद्देश हमेशा आपकी मदद करने क